दिल ई सँवरको से लागे लगल।
जबसे दिल ई सँवरको से लागे लगल।
नेह के तबसे मन गीत गावे लगल।
चांदनी रात में रोज जागल करीं-
दूर अँखिया से निदिया बा भागे लगल।
का बड़ाई करीं रूप अनमोल बा-
उनके अहसास जिंदगी सँवारे लगल।
उनके तिरछी नजर से करेजा कटल-
राति-दिन मन इ उनही के माँगे लगल।
कीमती हो गइल उनके सगरो अदा-
मीठ बोली त "विजय" के भावे लगल।
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